प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलते हुए उसे नया स्वरूप—‘सेवा तीर्थ’—दिया है। यह बदलाव केवल नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकार की कार्यशैली और सेवाभाव की नई सोच को आगे बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।
इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि अब राजभवन और राज्य निवास का नाम बदलकर क्रमशः ‘लोकभवन’ और ‘लोक निवास’ किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह परिवर्तन विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में राष्ट्र की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह मॉडल शासन की उस भावना को दर्शाता है, जिसमें सेवा, पारदर्शिता और सुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
गृह मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता को अधिकार नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम माना है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री स्वयं को देश का प्रधान सेवक बताते हैं और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए दिन-रात सतत प्रयास करते रहते हैं।
सरकार का मानना है कि ‘सेवा तीर्थ’ नाम एक प्रतीकात्मक प्रयास है, जो यह संदेश देता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय केवल प्रशासनिक केंद्र नहीं, बल्कि जनकल्याण और कर्तव्यनिष्ठा का स्थल है, जहाँ निरंतर देशहित में काम किया जाता है।

