चक्रवात से हुई भारी तबाही के बीच भारत ने मानवता और पड़ोसी मित्रता की मिसाल पेश करते हुए ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत श्रीलंका को व्यापक राहत पहुँचाने का अभियान शुरू कर दिया है। भारतीय नौसेना ने बताया कि इस भीषण आपदा में 465 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि 15 लाख से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए हैं। हजारों घर नष्ट हो चुके हैं और कई इलाकों में सामान्य जीवन पूरी तरह ठप हो गया है।
भारत द्वारा सक्रिय राहत अभियान में नौसेना के कई युद्धपोत, मेडिकल टीमें और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। भारतीय नौसेना का INS गरीष्म, जो 1,875 टन राहत सामग्री और लगभग 2,000 किलोमीटर तक परिचालन क्षमता रखता है, सबसे पहले श्रीलंका पहुँचा। जहाज में खाद्य सामग्री, दवाएँ, टेंट, स्वच्छता किट, पानी के कंटेनर और आपातकालीन उपयोग की अनेक वस्तुएँ भेजी गई हैं, ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत मिल सके।
इसके अलावा नौसेना के विमान भी लगातार उड़ान भर रहे हैं, जिनके माध्यम से दूरदराज और कटे हुए क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री तथा मेडिकल सहायता पहुँचाई जा रही है। भारतीय हेलीकॉप्टर प्रभावित द्वीपों और तटीय इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं।
श्रीलंकाई प्रशासन ने बताया कि सबसे अधिक नुकसान दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में हुआ है, जहाँ 70 से अधिक मछुआरे अब तक लापता बताए जा रहे हैं। कई तटीय गाँव पानी में डूब गए हैं और कई क्षेत्रों में बिजली तथा संचार व्यवस्था बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई है।
भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से चली आ रही समुद्री दोस्ती और मानवीय सहयोग की भावना को ‘सागर बंधु’ अभियान ने एक बार फिर मजबूत किया है। भारत ने साफ कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त जहाज, मेडिकल टीमें और राहत सामग्री भेजने के लिए भी वह पूरी तरह तैयार है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान न केवल प्राकृतिक आपदा प्रबंधन में भारत की क्षमता दर्शाता है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी जिम्मेदार भूमिका और पड़ोसी देशों के प्रति संवेदनशीलता को भी मजबूत करता है।

